माता वैष्णो देवी यात्रा एक संगीतमय वातावरण में–‘भजन ऍप’ (Bhajan App) पर
कहते हैं माता वैष्णो देवी के दरबार में वो ही जा सकता है जिसे माता रानी खुद बुलाती है और एक बार माँ का संदेसा आ गया तो भक्त रुक नहीं पाता। वैष्णो देवी का यह मंदिर उत्तरी भारत में सबसे पूजनीय पवित्र स्थलों में से एक हैl
माता वैष्णो देवी को शेरों वाली माँ और पहाड़ों वाली माँ भी कहा जाता हैl त्रिकूट पर्वत पर गुफा में माँ महा सरस्वती, महा लक्ष्मी तथा महा शक्ति केरूप में विराजमान हैं। पहली महा सरस्वती जो ज्ञान की देवी है, दूसरी महालक्ष्मी जो धन वैभव की देवी और तीसरी महाकाली जो कि शक्ति स्वरूपा मानी जाती है।
यह यात्रा शुरू होती है जम्मू के छोटे से शहर कटरा से। कटरा पहाड़ियों में बसा एक छोटा सा शहर है पर रेल व बस द्वारा देश के सभी मुख्य शहरों द्वारा जुड़ा हुआ है। दूर दूर से माता के दर्शन के लिए आये श्रद्धालु कटरा से अपनी यात्रा प्रारम्भ करते हैंl यात्रा शुरू करने से पहले यात्री को यात्री पर्ची लेना अनिवार्ये है।
कटरा से माता के मंदिर तक की दुरी लगभग 14 की मी है जिसे यात्री अपने अनुसार पैदल, घोड़ी या पालकी के द्वारा तय कर सकता है। ज्यादातर श्रद्धालु पैदल ही माँ के दरबार तक जाते हैजो 5 से 6 घंटे लगते है। श्री माता वैष्णो देवी के लिए कटरा से उड़ान में लगभग 08 मिनट लगते हैंl वैष्णो देवी मंदिर हैलीपैड से लगभग 2.5 किलोमीटर की दूरी पर हैl पुरे रास्ते की देख रेख श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा कीजाती है। रास्ते में कई भोजनालय बनाये गए है जहा साफ़सुथरा भोजन उच्चित मूल्य पर मिलता है।
पहाड़ियों पर पहुँच कर भक्त अपने सारे दुःख भूल जाता है और माँ के धुन में लीन हो जाता है। माता अपने भक्तों पर दया एवं करूणा भाव रखती हैं। मान्यता है कि माता के दरबार में जैसी कामना लेकर भक्त पहुंचता है, माता उसकी उसी कामना ज़रूर पूरी करती हैं। जो भक्त सच्चे मन से माता के दरबार में पहुंचता है मात उसे आशीर्वाद ज़रूर देती है।
जय माता दी!! जय माता दी नारों की गूंज मन में एक जोश और उत्साह भर देती है। माता अपने भक्तो को खुद हिम्मत और ताकत देती है ताकि भक्त ऊँचे पहाड़ों को पार कर के माता के दर्शन के लिए पहुँच सकें।
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