उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री तथा यमुनोत्री को “छोटा चारधाम” कहा जाता है और हर जगह कि अलग-अलग मान्यता है। प्राचीन काल से ही भारत के इन चार धामों का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रहा है। माना जाता है कि चार धामों की पवित्र यात्रा व दर्शन करने से सभी पापों का नाश होता है। हर साल हरिद्वार और ऋषिकेश से यात्री, धाम की यात्रा शुरू करते है।
यमुनोत्री चार धामों में से एक प्रमुख धाम माना जाता है| यमुनोत्री हिमालय के पश्चिम दिशा पर स्थित है| भारतीय संस्कृति में यमुनोत्री को माता का रूप माना गया है| यमुना मंदिर तक चढ़ाई का मार्ग दुर्गम और रोमांचक है| मंदिर में गरम पानी के कई सोते है, जिसमें सूर्य कुंड अत्यधिक प्रसिद्ध है।
गंगोत्री, गंगा नदी का उद्गगम स्थल माना जाता है जो लगभग २४ किलो मीटर दूर गंगोत्री ग्लेशियर पर है| इस पावन धाम के कपाट अक्षय तृतीया के पर्व पर खोले जाते हें और दीपावली पर बन्द हो जाते हें|
बदरीनाथ उत्तर दिशा में हिमालय पर स्थित, हिन्दुओं का मुख्य यात्रा धाम माना जाता है| बदरीनारायण मंदिर, अलकनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड राज्य में स्थित है। बदरीनाथ में भगवान विष्नु का विशाल मन्दिर है और विष्णु की विशेष पूजा होती है| बदरीनाथ धाम की यात्रा आध्यात्मिक तथा रोमांचक है| इस मन्दिर में अखण्डदीप हमेशा जलते रहता है|
केदारनाथ, केदार नामक चोटी पर स्थित है और देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है| केदारनाथ, मंदाकिनी नदी के समीप उत्तराखंड में है और मंदिर ६ फुट उचे चबूतरे पर बना है। इस प्राचीन मन्दिर का निर्माण पाण्डवों ने किया था| केदारनाथ में भगवान शिव के साथ कई और भगवानो की पूजा अर्चना की जाती है।
हज़ारो वर्षो से बदरी, केदार, गंगोत्री और यमुनोत्री महत्वपूर्ण तीर्थ रहा है। कहा जाता है कि जिससे मनुष्य पाप से मुक्त हो जाए, उसे तीर्थ केहते है| माना जाता है की बद्रीनाथ, केदार, गंगोत्री और यमुनोत्री चार धामों की पवित्र यात्रा व दर्शन करने से सभी पापों का नाश होता है। इन चारों धमो के दर्शन से मनुष्य जीवन-मृत्यु के बंधनों से मुक्त हो जाता है|
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